सामने अखियन के होत पिया जब
लगता ये मन भारी
ज्यों ही ओझल होते पल भर में
तकती अखियाँ बेचारी
दिल का दर्द ये अखियाँ माने
दिल माने जो अखियाँ जाने
दिल की है ये एक ही सखियाँ
दिल ही समझे इन नयनन की बतियाँ
आज फ़िर दिल रोया फ़िर आंसू निकले
पर ये अखियाँ हैं बेजान सी
पिया हैं मेरे अखियों से ओझल
हर पल ढूंढे उन्हें ये नादान सी
न समझे पिया मोरे न मैं ही समझी
ये अखियाँ समझी फ़िर दिल की बतियाँ
फ़िर दो नयन मिले नयनन से
वो भी बेजान से
नयनन की थी ये बातें अपनी ...
वो समझे जो में न समझी
दिल की बात पिया मोरे की
जो मैं ना समझी ...
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mene apni akhiyon ke liye khud hi likha, or khud hi use pad rahi un
pr fir bhi ise kisi ka intjar he.............
ha hahahahaaaa