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अखियाँ

-
nisha

सामने अखियन के होत पिया जब
लगता ये मन भारी
ज्यों ही ओझल होते पल भर में
तकती अखियाँ बेचारी
दिल का दर्द ये अखियाँ माने
दिल माने जो अखियाँ जाने
दिल की है ये एक ही सखियाँ
दिल ही समझे इन नयनन की बतियाँ
आज फ़िर दिल रोया फ़िर आंसू निकले
पर ये अखियाँ हैं बेजान सी
पिया हैं मेरे अखियों से ओझल
हर पल ढूंढे उन्हें ये नादान सी
न समझे पिया मोरे न मैं ही समझी
ये अखियाँ समझी फ़िर दिल की बतियाँ
फ़िर दो नयन मिले नयनन से
वो भी बेजान से
नयनन की थी ये बातें अपनी ...
वो समझे जो में न समझी
दिल की बात पिया मोरे की
जो मैं ना समझी ...

2 Responses so far.

  1. nisha says:

    mene apni akhiyon ke liye khud hi likha, or khud hi use pad rahi un
    pr fir bhi ise kisi ka intjar he.............